समर्पण भविष्यवाणी पाठशाला

समर्पण भविष्यवाणी पाठशाला
Spread the love

क्या आप भविष्यवाणी के वरदान के बारे में और गहराई से जानना चाहते हो?

Advertisement

"<yoastmark

 

    इस क्लासेस में हम लोग भविष्यवाणी के वरदान को सीखेंगे जो की आप को समर्पण भविष्यवाणी पाठशाला में सिखाया जायेंगा |  

समर्पण भविष्यवाणी पाठशाला क्लासेस में कुछ बाते सिखाई जाएगी|

  १) पवित्र आत्मा के वरदान
२) भविष्यवाणी का वरदान
३) भविष्यवाणी कैसे करे
४) भविष्यवाणी कैसे लिखे      

भविष्वाणी क्या है ? भविष्यवाणी तब होती है जब परमेश्वर कोई बात किसी के मन में भर देता है। भविष्यवाणी का वरदान बहुत हे अनोखा है।

यह हमे आने वाली बाते बता देता है। 

यूनानी भाषा में भविष्यवाणी को प्रॉफेटिआ कहा गया है जिस का मतलब है की एक देविक सन्देश जो स्वर्ग से आया है और जिसे कलीसिया को बताना है।

पवित्र आत्मा कुछ विश्वासियों को भविष्यवाणी का वरदान देता है जिस से की वह लोग कलीसिया में उन्नत्ति ला सके। 

यह वरदान विश्वासियों के लिए और अविश्वासियों के लिए बहुत अच्छा है।

जिस के पास भविष्यवाणी का वरदान होता है उसे बहुत ज्यादा नम्र होना चाइए , क्यूंकि ऐसा व्यक्ति परमेश्वर का मुख रहता है।

परमेश्वर एक भविष्यवक्ता को चुनता है। परमेश्वर अपना सन्देश उस व्यक्ति के द्वारा सारे लोगो तक पहुँचता है। 

उदाहरणतः किसी के भविष्य को प्रकट करना। 

स्री और पुरुष दोनों भविष्यवाणी कर सकते है। 

भविष्यवाणी एक बहोत ही बढ़िया वरदान है क्यूंकि यह आने वाले बातो को प्रकट करता है । 

भविष्यवक्ता परमेश्वर के समुख रहता है।

भविष्यवाणी करने का मतलब है की परमेश्वर के पास से एक दैविक प्रकाशन लेकर आना और  जो की कलीसिया के लिए उन्नत्ति का कारण बन सके।

भविष्यवाणी करते समय ३ बाते हमेशा याद रखना है

१ दर्शन

२ मेहसूस होना

३ सुनाई  देना

इसी तरह आपको समर्पण भविष्यवाणी पाठशाला में  इन बातो को व्यक्तिगत रूप से सिखाया जायेगा।   

अधिक जानकारी के लिए हमे संपर्क करे |   Email Address : samarpan.thorat@gmail.com    

समर्पण थोरात 

Psalm 91 Book 

कुछ और ब्लोग जो आप पढ़ सकते है।

क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है ?

हिंदी बाइबिल स्टडी

भजन संहिता 117 मे क्या विशेषता है?


Spread the love

1 thought on “समर्पण भविष्यवाणी पाठशाला”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *